Anil Kumar

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -23-Mar-2022

'घर'

घर में कैद हूँ

ऐसा कह नहीं सकता

बाहर भले आजादी मिले

पर घर के बगैर भी रह नहीं सकता

बाहर खुली हवा में

विस्तृत आकाश के तले

धरती के विशाल आँचल पर

असंख्य क्रिड़ाएँ

क्रिड़ा कर रही हो

पर घर के संकुचित आँगन में

बचपन से यौवन तक के

अविस्मृत खेल को

विस्मृत कर नहीं सकता

घर में कैद हूँ

ऐसा कह नहीं सकता

बाहर भले विचरण हो

प्रकृति के असीमित उद्यान का

पर, घर के फर्श पर

जीवन में प्रथम चरण के

पदचाप को

विस्मृत कर नहीं सकता

घर में कैद हूँ

ऐसा कह नहीं सकता

बाहर भले मौज हो

धरती के असीमान्त आनन्द की

चाहे मस्ती भरी हो

धरा के सौन्दर्य-सावन की

लेकिन घर क चौकट में

जो सुकून, जो आराम है

जहाँ माँ-बाप का आशीष

भाई-बहिन का दूलार है

उस घर में कैद हूँ

ऐसा कह नहीं सकता

धरती स परे

आकाश के स्वर्ग के लिए

इस स्वर्ग का त्याग कर नहीं सकता

घर में कैद हूँ

ऐसा कह नहीं सकता..

 

 

   19
11 Comments

Shivani Sharma

26-Mar-2022 01:22 AM

👌👌

Reply

Anil Kumar

25-Mar-2022 05:48 PM

सभी मान्यवरों का बहुत-बहुत धन्यवाद।

Reply

Punam verma

24-Mar-2022 09:52 PM

Very nice

Reply

Anil Kumar

27-Mar-2022 05:26 PM

Thanks

Reply